Tula Rashi ke isht dev kaun hai: तुला राशि को 12 राशियों में सांतवी राशि माना जाता है। कल पुरुष की कुंडली में तुला राशि सप्तम भाव में स्थित राशि होती है जो को व्यापार और विवाह का भाव होता है। इस राशि का चिन्ह तराजू होता है कह सकते है की इस राशि का सप्तम में होना व्यापर और वैवाहिक जीवन में संतुलन स्थापित करता है। राशियों से आपके स्वाभाव को जाना जा सकता है लेकिन भविष्य के बारे में नहीं जाना जा सकता है क्योंकि एक राशि के कई लोग होते है और सबका जीवन एक सामान नहीं होता है।
जिस जातक का जन्म तुला राशि में हुआ उसके जन्म के समय चन्द्रमा किस राशि में स्थित है वही राशि जन्म राशि कहलाती है। चन्द्रमा प्रायः अलग-अलग राशि में है विचरण करता रहता है वह जन्म के समय जिस राशि में होता है वही राशि जन्म राशि कहलाते है। आप अपनी लग्न कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति देखिये यह किस राशि पर है वही जन्म राशि होगी। कुछ लोग अपने नाम के पहले अक्षर से अक्सर अपनी राशि मान लेते है लेकिन यह कोई तर्क युक्त स्थिति नहीं है।
तुला राशि क्या है (Libra rashi in hindi)
काल पुरुष की कुंडली में 7th हाउस तुला राशि को दर्शाता है। तुला राशि क्या है इसे ऐसे समझे की जिस जातक का जन्म तुला राशि में हुआ है यानि उसकी कुंडली में तुला राशि लिखी है इसका अर्थ है की उसके जन्म के समय चन्द्रमा तुला राशि में स्थित है। जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि में स्थित है वही राशि जन्म राशि कहलाती है। तुला राशि के इष्ट देव कौन है यह आगे हम इसी पोस्ट में जानेंगे ।
तुला राशि के बारे में संपूर्ण जानकारी (Tula Rashi Facts)
तुला राशि के जातक का स्वाभाव (Tula Rashi personality)
तुला राशि के लोग नम्र, दयालु, ईमानदार, न्याय करने में निपुण, निर्णय लेने से पूर्व हर पहलू का विश्लेषण करते हैं। यह दूसरों के धन के लोलुप होते हैं मगर आश्रितों के सहायक रहते है। भावुक मगर लचीले स्वभाव क होते हैं। क्रोध शीघ्र शांत हो जाता है। स्वयं की बजाय दूसरों का अधिक ध्यान रखते हैं। वाद-विवाद में पटु होते हैं। सदा न्याय शांति, प्रेम का समर्थन करते हैं। तुला वायु तत्व की राशि होने के कारण सदा सुंदरता और प्रकृति के प्रेमी होते हैं। पर्यटन के शौकीन होते हैं, इस कारण आवास भी में भी परिवर्तन कर लेते हैं।
उच्चकोटि का जीवन यापन करते हैं, वेशभूषा, फर्नीचर, वाहन और अन्य सुविधाओं का ध्यान रखते हैं। व्यापार में कुशल होते हैं। अधिकांशतः लोकप्रिय होते हैं, व्यापार में अच्छे साझेदार साबित होते हैं। कलाप्रिय होते है और महिलाओं के मध्य विचरना पसंद करते हैं। सौभाग्यशाली महिलाएं इन्हें पसंद करती हैं। तुला राशि के इष्ट देव कौन है यह जान ले तो जीवन में कष्टों को दूर किया जा सकता है ।
तुला राशि के जातक की शारीरिक संरचना
यह लंबा-पतला, सुद्ढ़-सुडौल शरीर, सुंदर चेहरा, लावण्यमयी त्वचा, मध्यायु में गंजापन हो जाता है, भौहें सुंदरता में वृद्धि करती है। नाक थोड़ी मुड़ी हुई होती है, दांतो के मध्य खाली जगह होती है, मस्तक उठा हुआ होता है।सोम्य और हसमुँख प्रवत्ति इनमे देखने को मिलती है। अधिकांश लोगो के गाल पर डिंपल बनता है।
तुला राशि का चिन्ह (Tula Rashi Symbol)
तुला राशि का चिन्ह तराजू होता है । यह तराजू मानव के हाथ में होती है। तराजू की तरह ही यह राशि जीवन में संतुलन को दर्शाती है।
तुला राशि का स्वामी (Tula Rashi Lord)
तुला राशि के स्वामी शुक्र देवता होते है। इस कारन इस राशि के लोग फैशनेबल होते है।
तुला राशि तत्व (Tula Rashi elements)
तुला राशि एक वायु तत्व राशि है।कह सकते है की तराजू जिसके दोनों पलड़े वायु में होते है अच्छे संतुलन को दर्शाते है।
तुला राशि के इष्ट देव कौन है (tula Rashi ke Isht Dev Kaun Hai)
tula Rashi ke Isht Dev Kaun Hai: वैसे तो शुक्र देवता इस राशि के स्वामी होते है लेकिन अगर इष्ट की बात की जाये तो महालक्ष्मी जी और दुर्गा जी तुला राशि के इष्ट देवी देवता होते है। देवी दुर्गा और देवी लक्ष्मी की आराधना करने से तुला राशि के व्यक्ति के जीवन से कष्ट दूर होते है।
तुला राशि का रंग (Tula Rashi Color)
तुला राशि का रंग सफ़ेद और हल्का नीला लिए होता है।वायु तत्व राशि आकाश को अपने साथ दर्शाती है।
तुला राशि का व्यवसाय (Tula Rashi profession)
कलात्मक कार्य , संगीत (गायन , वादन , नृत्य), अभिनय , चलचित्र संबंधी डेकोरेशन , ड्रेस डिजायनिंग , मनोरंजन के साधन , फिल्म उद्योग , वीडियो पार्लर , मैरिज ब्यूरो , इंटीरियर डेकोरेशन , फैशन डिजाइनिंग , पेंटिंग , श्रृंगार के साधन , कोसमेटिक , इत्र , गिफ्ट हॉउस , चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ , विवाह से संबंधित कार्य , महिलाओं से संबंधित कार्य , विलासितापूर्ण वस्तु , गाड़ी , वाहन व्यापारी , ट्रांसपोर्ट , सजावटी वस्तुएं , मिठाई संबंधी , रेस्टोरेंट , होटल , खाद्य पदार्थ , श्वेत पदार्थ , दूध से बने पदार्थ , दूध उत्पादन ( दुग्धशाला ) , दही , चावल , धान , गुड़ , खाद्य पदार्थ , सोना , चांदी , हीरा , जौहरी , वस्त्र निर्माता , गारमेंट्स , पशु चिकित्सा , हाथी घोड़ा पालना , टूरिज्म , चाय – कॉफी , शुक्र + मंगल – रत्न व्यापारी , शुक्र + राहु या शनि – ब्यूटी पार्लर , शुक्र + चन्द्र – सोडावाटर फेक्ट्री , तेल , शर्बत , फल , तरल रंग आदि।
तुला राशि के संभावित रोग
तुला राशि जातको में गुर्दो के रोग, मेरूदंड में दर्द संक्रामक रोग। महिलाओें मे गर्भाशय के रोग होते देखे गए है।
तुला राशि में उच्च ,नीच और मूल ग्रह
तुला राशि शनि की उच्च राशि है। वही सूर्य Tula Rashi में नीच का हो जाता है। तथा तुला शुक्र की मूल राशि है।
तुला राशि के लिए मंत्र (Tula Rashi Mantra)
|| ॐ तत्व निरंजनाय तारकरामाय नमः ||
इस मंत्र का प्रति दिन 1 माला जाप करना चाहिए। इसके अलावा ॐ महालक्ष्मी नमः और ॐ दुर्गायै नमः तथा शुक्र देवता मंत्र ॐ शुं शुक्राय नम: का भी जाप किया जा सकता है।
तुला राशि के लिए धातु (Tula Rashi Metal)
तुला राशि के लिए चाँदी मूल धातु मानि गयी है।
तुला राशि के लिए रत्न (Tula Rashi gemstone)
तुला राशि के लिए ओपल मूल रत्न मन गया है। लेकिन यह कुंडली में लग्न और कारक ग्रहो और सम्पूर्ण कुंडली को जानकर ही पहनने के योग्य होता है।
तुला राशि के लिए रुद्राक्ष (Tula Rashi Rudraksha)
तुला राशि के लिए तीन 6 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के बारे में बताया गया है।
तुला राशि की दिशा (Tula Rashi Direction)
तुला राशि की दिशा पश्चिम है।
तुला राशि की मित्र राशियाँ
मिथुन और कुम्भ इसकी मित्र राशियाँ है।
तुला राशि की शत्रु राशियाँ
सिंह और धनु इसकी शत्रु राशियाँ है।
तुला राशि नाम अक्षर (Tula Rashi Name alphabets)
तुला राशि वाले लोगों के नाम का पहला अक्षर रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू या ते होता है।
आज आपने इस लेख में जाना की तुला राशि के इष्ट देव कौन है (tula Rashi ke Isht Dev Kaun Hai) उसके बारे में चर्चा की। तुला राशि क्या है तथा तुला राशि के बारे में आवश्यक जानकारी आपको कैसी लगी। आशा है कि यह आपको अपने दैनिक जीवन में सहायता प्रदान करेगा।
FAQ:
क्या तुला राशि का रत्न ओपल हर कोई धारण कर सकता है ?
नहीं ,ओपल रत्न धारण करने के लिए सम्पूर्ण कुंडली का विवेचन आवश्यक है।
क्या तुला राशि का रुद्राक्ष हर कोई धारण कर सकता है ?
हाँ ,रुद्राक्ष को हर कोई धारण कर सकता है।